First Class Admission Age: हरियाणा सरकार ने शासकीय और निजी स्कूलों में कक्षा पहली में दाखिले को लेकर नया नियम लागू किया है। अब शैक्षणिक सत्र 2025-26 से बच्चों को पहली कक्षा में प्रवेश लेने के लिए कुछ आवश्यक मानदंडों को पूरा करना होगा। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप लिया गया है, जिसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना और बच्चों के मानसिक, सामाजिक और शारीरिक विकास को बेहतर बनाना है।
पहली कक्षा में एडमिशन के लिए कितनी उम्र जरूरी?
हरियाणा शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार, किसी भी बच्चे को पहली कक्षा में दाखिला तभी मिलेगा जब उसकी उम्र 1 अप्रैल 2025 तक कम से कम 6 वर्ष हो। यानी यदि कोई बच्चा 1 अप्रैल 2025 को 6 साल का या उससे अधिक उम्र का है, तो वह कक्षा पहली में दाखिला पाने के योग्य होगा।
6 महीने की छूट भी मिलेगी
हालांकि, इस नियम में कुछ लचीलापन भी रखा गया है। यदि किसी बच्चे की उम्र 1 अप्रैल 2025 तक 5.5 साल यानी साढ़े पांच साल है, तो उसे भी पहली कक्षा में एडमिशन दिया जा सकता है। यह छूट ‘राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009’ की धारा 10 के तहत दी गई है, जिसमें अधिकतम 6 महीने तक की उम्र में छूट देने का प्रावधान है।
इसका मतलब यह है कि जिन बच्चों की उम्र थोड़ी कम है, उन्हें पूरी तरह से बाहर नहीं किया जाएगा। अभिभावक अगर उचित दस्तावेज़ जैसे जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत करते हैं, तो स्कूल ऐसे बच्चों को भी दाखिला दे सकते हैं।
पहले से पढ़ रहे बच्चों पर नियम लागू नहीं
यह नया नियम केवल उन्हीं बच्चों पर लागू होगा जो पहली बार स्कूल में दाखिला ले रहे हैं। जो बच्चे पहले से ही किसी स्कूल में नर्सरी या किंडरगार्टन (KG) में पढ़ाई कर रहे हैं, उनके लिए कोई बदलाव नहीं होगा। ऐसे बच्चों को उनकी वर्तमान शैक्षणिक स्थिति के अनुसार अगली कक्षा में प्रोन्नति मिलती रहेगी।
स्कूलों को निर्देश – किसी योग्य बच्चे को न करें इनकार
शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों, स्कूल प्राचार्यों और अन्य संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि वे इस नियम का पालन सुनिश्चित करें। साथ ही यह भी कहा गया है कि कोई भी योग्य बच्चा दाखिले से वंचित न हो। यदि कोई बच्चा 1 अप्रैल 2025 तक 6 साल की उम्र पूरी नहीं कर पाया है, लेकिन उसकी उम्र 5.5 साल या उससे अधिक है, तो उसे दाखिला देने से मना न किया जाए।
यह निर्देश बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास को ध्यान में रखते हुए दिया गया है, ताकि कम उम्र के कारण उन्हें शिक्षा से वंचित न होना पड़े और उनका आत्मविश्वास बना रहे।
क्यों जरूरी था यह बदलाव?
यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किया गया है। NEP 2020 के अनुसार, प्रारंभिक शिक्षा के लिए 5 वर्ष की नींव वाली संरचना अपनाई गई है, जिसमें 3 साल की प्री-प्राइमरी शिक्षा और 2 साल की कक्षा 1 और 2 शामिल हैं। इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब बच्चा पहली कक्षा में प्रवेश करे, तो वह मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से तैयार हो। इससे बच्चों को बेहतर समझ, सीखने की क्षमता और आत्मनिर्भरता विकसित करने में मदद मिलेगी।
क्या करें अभिभावक?
अगर आप अपने बच्चे को 2025-26 सत्र में पहली कक्षा में दाखिला दिलाना चाहते हैं, तो अभी से उसकी उम्र और दस्तावेज़ों की जांच कर लें। यदि आपके बच्चे की उम्र 1 अप्रैल 2025 तक 6 साल है, तो उसे बिना किसी अड़चन के दाखिला मिल जाएगा। यदि उम्र 5.5 साल से थोड़ी अधिक है, तो आप उम्र में छूट का लाभ लेने के लिए जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज़ों के साथ आवेदन कर सकते हैं।
निष्कर्ष
हरियाणा सरकार का यह फैसला शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने और बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सकारात्मक कदम है। इससे शिक्षा की बुनियाद मजबूत होगी और बच्चे सही उम्र में स्कूल जाकर पढ़ाई की शुरुआत कर सकेंगे।
अभिभावकों को चाहिए कि वे इस नियम को ध्यान में रखते हुए समय से पहले स्कूलों से संपर्क करें, जरूरी दस्तावेज़ तैयार रखें और अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित करें।