School Holidays Alert: भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव के चलते देश के सीमावर्ती राज्यों में सुरक्षा के मद्देनज़र कई अहम फैसले लिए गए हैं। पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दूसरे दिन हालात और गंभीर हो गए। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़ और हरियाणा जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूल और कॉलेजों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर में स्कूलों पर असर
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने राज्य के संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कारणों से स्कूल बंद करने का निर्णय लिया है। बारामुल्ला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा (गुरेज घाटी क्षेत्र सहित), श्रीनगर और अवंतीपोरा एयरबेस के आसपास के क्षेत्रों में स्थित सभी निजी और सरकारी स्कूलों को 9 और 10 मई तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा जम्मू संभाग के जिलों — सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ में भी शुक्रवार को सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे।
यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि किसी भी संभावित खतरे से बच्चों और शिक्षकों को बचाया जा सके। स्थानीय प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखते हुए आगे के लिए भी जरूरी तैयारियां कर ली हैं।
पंजाब में भी एहतियातन स्कूल बंद
पड़ोसी राज्य पंजाब में भी एहतियाती कदम उठाए गए हैं। विशेषकर सीमावर्ती जिलों में सुरक्षा को देखते हुए राज्य सरकार ने तीन दिनों तक सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है। जालंधर जिले में 10 मई तक स्कूल बंद रखने का निर्देश दिया गया है।
इस आदेश के पीछे स्पष्ट उद्देश्य है कि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति में बच्चों को स्कूलों में उपस्थित होने की आवश्यकता न हो, और उन्हें सुरक्षित माहौल में घर पर ही रहने दिया जाए।
चंडीगढ़ और हरियाणा में भी छुट्टी घोषित
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में प्रशासन ने शुक्रवार और शनिवार को स्कूल बंद रखने का फैसला लिया है। इसके साथ ही हरियाणा के पंचकूला जिले में सभी शैक्षणिक संस्थानों को सोमवार तक बंद रखने के आदेश जारी किए गए हैं।
यह निर्णय भी राज्य और केंद्र की सुरक्षा एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर लिया गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटने में कोई चूक न हो।
राजस्थान के जोधपुर में भी स्कूल बंद
राजस्थान के जोधपुर जिले में भी प्रशासन ने अगले आदेश तक सभी स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद रखने का फैसला लिया है। स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया ताकि बच्चों और शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
सरकार की प्राथमिकता: बच्चों की सुरक्षा
इन तमाम फैसलों से यह स्पष्ट हो जाता है कि मौजूदा हालात केवल सीमाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसका असर आम जनजीवन पर भी पड़ रहा है। विशेषकर बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। प्रशासन और सरकारें लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और समय-समय पर जरूरी कदम उठा रही हैं।
जहां एक ओर देश सुरक्षा के मोर्चे पर मजबूती से खड़ा है, वहीं दूसरी ओर नागरिकों की सुरक्षा, खासकर बच्चों की सुरक्षा, को लेकर कोई समझौता नहीं किया जा रहा।
यदि हालात और बिगड़ते हैं, तो प्रशासन द्वारा और भी सख्त फैसले लिए जा सकते हैं। ऐसे में अभिभावकों से भी अनुरोध है कि वे सरकारी आदेशों का पालन करें और बच्चों को अनावश्यक रूप से घर से बाहर न भेजें।