Farmer Sugarcane Payment: राजस्थान समेत देश के कई हिस्सों में गन्ना किसानों को वर्षों से एक बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता रहा है। वह है गन्ना भुगतान में हो रही अनियमितताएं और बिचौलियों की भूमिका, जिससे किसान समय पर अपना सही भुगतान नहीं प्राप्त कर पाते। इस व्यवस्था में जो गड़बड़ियां होती थीं, वे कभी-कभी भारी भ्रष्टाचार का रूप भी ले लेती थीं। हाल ही में हापुड़ गन्ना सहकारी समिति में करीब 8 करोड़ रुपये के घोटाले ने इस समस्या को फिर से उजागर कर दिया है। लेकिन इस मामले ने प्रशासन को भी गन्ना भुगतान प्रणाली में सुधार लाने के लिए प्रेरित किया है। अब गन्ना मिलें सीधे किसानों के बैंक खातों में भुगतान करेंगी, जिससे दलालों और बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसानों को समय पर पारदर्शी भुगतान सुनिश्चित होगा।
पुरानी व्यवस्था और समस्याएं
गन्ना किसानों को भुगतान करने की प्रक्रिया पर पहले गन्ना सहकारी समितियों का पूरा नियंत्रण होता था। शुगर मिलें किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक और भुगतान जैसी सारी सुविधाएं और लेन-देन समितियों के माध्यम से करती थीं। समितियों को इस सेवा के बदले में कमीशन दिया जाता था।
लेकिन इस प्रणाली में कई खामियां थीं। समितियों के जरिये लेन-देन होने के कारण पारदर्शिता की कमी थी और इसमें भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े की पूरी गुंजाइश रहती थी। किसानों की समस्याएं भी समितियों के माध्यम से ही सुलझाई जाती थीं, जो कि हमेशा प्रभावी नहीं हो पाती थीं। इस व्यवस्था का फायदा उठाकर कई बार बड़ी हेराफेरी होती रही है।
हापुड़ में बड़ा घोटाला सामने आया
हाल ही में हापुड़ की गन्ना सहकारी समिति में एक बड़ा घोटाला सामने आया। समिति के सचिव और लिपिक ने मिल के प्रबंधक और कुछ अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर किसानों के भुगतान की राशि अपने और अपने संबंधियों के खातों में ट्रांसफर कर ली। इतना ही नहीं, समिति की एक करोड़ रुपये की एफडी (फिक्स्ड डिपॉजिट) को फर्जी दस्तावेजों के सहारे समय से पहले तोड़कर उसका पैसा भी अपने खातों में जमा करा लिया गया।
सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले में बैंक के कुछ कर्मचारियों की भी भूमिका थी। मामला प्रशासन के संज्ञान में आते ही तूल पकड़ने लगा और जिला प्रशासन ने इसकी जांच तेज कर दी।
जांच और प्रशासन की कड़ी कार्रवाई
जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय के सख्त निर्देशों के बाद मामले की जांच तेजी से शुरू हो गई। गन्ना विभाग और बैंक कर्मचारियों को दोषी पाया गया। जिन खातों में अवैध धनराशि ट्रांसफर हुई, उन खाताधारकों को भी आरोपी बनाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी आरोपियों को सस्पेंड कर दिया गया है। एसडीएम अंकित वर्मा की अगुवाई में मजिस्ट्रेट जांच जारी है।
प्रशासन का मानना है कि इस घोटाले की वास्तविक राशि 8 करोड़ से भी अधिक हो सकती है, इसलिए जांच और कार्रवाई और गहन रूप से की जा रही है।
अब गन्ना भुगतान होगा सीधे बैंक खातों में
इस घोटाले के बाद गन्ना भुगतान प्रणाली में सुधार लाने की बात तेजी से उठने लगी है। गन्ना उपायुक्त आरके मिश्रा ने साफ तौर पर बताया है कि अब शुगर मिलों को सीधे किसानों के बैंक खातों में भुगतान करना होगा।
इस बदलाव से गन्ना सहकारी समितियों की भूमिका खत्म कर दी जाएगी और किसानों को समय पर तथा पारदर्शी भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। इस नई व्यवस्था से किसानों को बिचौलियों या दलालों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
नई कार्ययोजना और डिजिटल प्रणाली
गन्ना विभाग जल्द ही एक नई कार्ययोजना लेकर आएगा, जिसमें पूरी भुगतान प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाया जाएगा। इसके तहत:
किसानों को भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त होगा।
समितियों और कर्मचारियों के बीच हो रहे दलाली और भ्रष्टाचार की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।
किसानों को भुगतान में होने वाली देरी और विवादों से मुक्ति मिलेगी।
गन्ना किसानों को योजनाओं का भी सीधे लाभ मिल सकेगा।
गन्ना विभाग ने संकेत दिए हैं कि एक माह के अंदर नई गाइडलाइन जारी कर दी जाएगी, जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मिल सके।
किसानों के लिए क्या होगा फायदा?
समय पर भुगतान:
सीधे बैंक खातों में भुगतान होने से किसानों को पैसे समय पर मिलेंगे और आर्थिक दिक्कतें कम होंगी।पारदर्शिता:
डिजिटल भुगतान होने से पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहेगी और किसी प्रकार का घोटाला या धोखा होने की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी।बिचौलियों की भूमिका खत्म:
किसानों को दलालों या किसी तीसरे पक्ष पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, जिससे उनका बड़ा लाभ होगा।सरल शिकायत समाधान:
किसानों की शिकायतें सीधे संबंधित अधिकारियों तक पहुँचेंगी, जिससे समस्या का त्वरित समाधान होगा।
निष्कर्ष
गन्ना किसानों के लिए यह कदम एक बड़ी राहत और आशा की किरण साबित होगा। लंबे समय से जो पारदर्शिता की कमी, भ्रष्टाचार और देरी की समस्या गन्ना भुगतान में आ रही थी, उसका समाधान इस नई प्रणाली से संभव हो सकेगा।
हापुड़ गन्ना घोटाले ने एक बार फिर यह दिखाया कि पुरानी व्यवस्थाएं कब तक किसानों के हित में सही साबित हो सकती हैं। अब समय आ गया है कि आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी व्यवस्था लागू कर किसानों को उनकी मेहनत का पूरा फल मिल सके।
सरकार और गन्ना विभाग द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल किसानों के हित में है बल्कि पूरे कृषि क्षेत्र में एक मिसाल भी बनेगा। आने वाले दिनों में नई कार्ययोजना के लागू होने के साथ ही गन्ना किसानों के जीवन में आर्थिक स्थिरता और विश्वास की नई लहर देखी जा सकेगी।