Electricity Department Action: रामलीला मैदान स्थित 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र से जुड़े रेलवे फीडर पर साल-भर से बिजली चोरी और ओवरलोड की शिकायतें मिल रही थीं। लगातार राजस्व घाटे से जूझ रहे बिजली विभाग ने 15 अप्रैल से 11 मई 2025 तक सघन चेकिंग अभियान चलाया। परिणाम यह निकला कि लाइनलॉस 10 प्रतिशत घटा और विभाग ने कुल 1.72 करोड़ रुपये वसूल कर सरकार के खज़ाने में जमा किए। आइए विस्तार से समझें—अभियान की रणनीति, जांच निष्कर्ष, उपभोक्ताओं पर कार्रवाई और भविष्य की योजना।
1. अभियान क्यों ज़रूरी था?
लाइनलॉस लगातार बढ़ रहा था: रेलवे, भुजौली और हनुमान मंदिर फीडर पर बिजली की खपत तो अधिक थी, मगर बिलिंग अपेक्षाकृत कम।
राजस्व घाटा करोड़ों में: महीने-दर-महीने विभाग को लाखों का नुकसान हो रहा था।
शिकायतों का अंबार: मीटर से छेड़छाड़ व कटिया डालकर बिजली लेने की सूचनाएँ बढ़ रही थीं।
2. उच्च स्तर से निगरानी
अभियान की कमान अधीक्षण अभियंता अमित कुमार सिंह ने संभाली। उनके निर्देशन में
उपखंड अधिकारी चंद्रभूषण कुमार,
विजिलेंस टीम,
अवर अभियंता शशांक चौबे
की संयुक्त टीम बनाई गई। क्षेत्रवार रणनीति तय कर अबूबकर नगर, बजाजी गली, आर्य समाज गली और बरहज गली में घर-घर चेकिंग की योजना बनाई गई।
3. आंकड़े—सघन जांच का वास्तविक असर
जांच/कार्रवाई | संख्या/राशि |
---|---|
कुल कनेक्शन की जाँच | 2360 |
बिजली चोरी/मीटर छेड़छाड़ के केस | 35 |
ओवरलोड उपभोक्ता, जिनका लोड बढ़ाया गया | 170 |
लगाए गए स्मार्ट मीटर | 980 |
दिए गए नए अधिकृत कनेक्शन | 35 |
कुल वसूली (बिल + जुर्माना + अतिरिक्त लोड) | ₹1.72 करोड़ |
लाइनलॉस में कमी | 10 % |
4. कैसे पकड़ी गई बिजली चोरी?
स्मार्ट मीटर रीडिंग: नए मीटर रीयल-टाइम डेटा भेजते हैं, जहाँ अचानक लोड-वोल्टेज अंतर पकड़ में आ गया।
थर्मल स्कैनर: कटिया या बाय-पास वायर करने पर तार गर्म हो जाते हैं; स्कैनर से आसानी से चिन्हित किया गया।
लोड मिलान: बिल में दर्ज लोड और वास्तविक खपत का अंतर मिलाकर 170 उपभोक्ता चिन्हित हुए, जिनका लोड तुरंत बढ़ाया गया।
ध्यान दें: स्मार्ट मीटर से न केवल चोरी पकड़ी जाती है, बल्कि उपभोक्ता भी मोबाइल ऐप पर अपनी दैनिक खपत देख सकते हैं, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है।
5. कानूनी कार्रवाई और वसूली प्रक्रिया
पकड़े गए 35 उपभोक्ताओं पर बिजली अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत मुकदमा दर्ज कर बिजली थाना में केस दर्ज कराया गया।
तुरंत जुर्माना वसूला गया; भुगतान न करने पर कनेक्शन काटने और संपत्ति जब्ती का नोटिस दिया गया।
अतिरिक्त लोड एवं पेनल्टी को मिलाकर कुल ₹1.72 करोड़ राशि वसूल की गई, जो सीधे राजकोष में जमा हुई।
6. स्मार्ट मीटर—भविष्य का समाधान
इस अभियान के दौरान लगाए गए 980 स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के घर-बाहर बिजली चोरी रोकने का स्थायी उपाय साबित होंगे।
रीयल-टाइम मॉनिटरिंग: डिस्कॉम कंट्रोल रूम को तुरंत पता चल जाएगा कि किस मीटर पर अचानक लोड बढ़ा।
रिमोट कनेक्शन-डिस्कनेक्शन: बकाया बिल या अनियमितता पाए जाने पर बिना साइट विज़िट किए सप्लाई काटी जा सकती है।
उपभोक्ता लाभ: मोबाइल ऐप से दैनिक/मासिक खपत ट्रैक कर सकते हैं, जिससे बिल प्लान करना आसान होगा।
7. क्यों ज़रूरी है सख्ती?
आर्थिक नुकसान: हर चोरी की यूनिट ईमानदार उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त भार डालती है।
ट्रांसफॉर्मर ओवरलोड: अनधिकृत लोड से ट्रिपिंग और आग लगने का ख़तरा बढ़ता है।
विकास पर असर: राजस्व घाटा कम होगा तो नई लाइनें, अपग्रेड और सब्सिडी योजनाएँ सुचारु चल सकती हैं।
8. उपभोक्ताओं के लिए सुझाव
कानूनी कनेक्शन लें: अनधिकृत आपूर्ति पकड़ी गई तो जुर्माना और जेल—दोनों का प्रावधान है।
स्मार्ट मीटर को छेड़छाड़ न करें: छेड़छाड़ डिजिटल लॉग में रिकॉर्ड हो जाती है; बचना नामुमकिन है।
लोड संशोधित कराएँ: एयर-कंडीशनर, हीटर या नई मशीन लगाने पर लिखित में लोड बढ़वाएँ।
बिल समय पर चुकाएँ: विलंब पर 1.5 % मासिक सरचार्ज और कनेक्शन कटने का जोखिम रहता है।
संदेह होने पर शिकायत करें: आस-पास चोरी दिखे तो DISCOM कॉल-सेंटर या विजिलेंस हेल्पलाइन पर सूचना दें; पहचान गोपनीय रखी जाती है।
9. आगे की रणनीति
अधिशासी अभियंता राकेश कुमार वर्मा के अनुसार—
रेलवे फीडर जैसे हाई-लॉस ज़ोन में त्रैमासिक सघन चेकिंग लगातार चलेगी।
बाकी फीडरों पर भी चरणबद्ध स्मार्ट मीटर इंस्टॉल किए जाएंगे।
उपभोक्ता जागरूकता अभियान—स्कूल, आरडब्ल्यूए और बाज़ार संघों में कार्यशाला कर चोरी-मुक्त संस्कृति को बढ़ावा दिया जाएगा।
निष्कर्ष
रामलीला मैदान उपकेंद्र पर चलाए गए 27-दिवसीय अभियान ने साबित कर दिया कि नियोजित चेकिंग, स्मार्ट टेक्नोलॉजी और कड़े कानून के मेल से बिजली चोरी पर लगाम लगाई जा सकती है। 1.72 करोड़ रुपये की तत्काल वसूली और 10 % लाइनलॉस कमी ने न केवल विभाग का घाटा घटाया, बल्कि ईमानदार उपभोक्ताओं के हित भी सुरक्षित किए। भविष्य में ऐसे ही अभियानों से प्रदेश-भर में पारदर्शी और टिकाऊ बिजली सप्लाई सुनिश्चित होगी।