Smart Classroom Schools: बिहार राज्य सरकार ने प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लाने की दिशा में कदम बढ़ाया है। शिक्षा का स्तर सुधारने और छात्रों को बेहतर शैक्षणिक वातावरण उपलब्ध कराने के लिए राज्य के सरकारी स्कूलों में नई शिक्षा प्रणाली (School New System) लागू की जा रही है। यह योजना न केवल बच्चों की पढ़ाई के तरीके को बदल देगी, बल्कि स्कूलों की मूलभूत सुविधाओं में भी बड़ा सुधार लाएगी।
कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए खास इंतजाम
सरकार ने छोटे बच्चों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए रंगीन और छोटे आकार के बेंच-डेस्क देने का निर्णय लिया है। इससे छोटे बच्चे आराम से बैठ सकेंगे और उन्हें पढ़ाई में आसानी होगी। वर्तमान में छोटे बच्चों के लिए बड़ी बेंचों पर बैठना असुविधाजनक होता है, जिससे उनकी एकाग्रता पर असर पड़ता है। यह नया बदलाव बच्चों के मनोविज्ञान के अनुसार है और उनके स्कूल आने की रुचि को भी बढ़ाएगा।
कक्षा 6 से ऊपर के छात्रों के लिए स्मार्ट बोर्ड
माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं (कक्षा 6 से ऊपर) में अब छात्रों को स्मार्ट बोर्ड के जरिए पढ़ाई करवाई जाएगी। यह तकनीकी पहल छात्रों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ने का काम करेगी। स्मार्ट बोर्ड की सहायता से शिक्षक इंटरेक्टिव और विजुअल कंटेंट के माध्यम से पढ़ा सकेंगे, जिससे छात्रों की समझने की क्षमता बेहतर होगी और वे विषयों को अधिक गहराई से समझ पाएंगे।
शिक्षा की बात हर शनिवार’ कार्यक्रम में हुआ ऐलान
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने यह सारी जानकारी राज्य स्तर पर चल रहे ‘शिक्षा की बात हर शनिवार’ कार्यक्रम के दौरान दी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली में हो रहे बदलावों को जन-सामान्य और शिक्षकों तक पहुंचाना है। उन्होंने इस मंच के माध्यम से शिक्षकों को कई दिशा-निर्देश भी दिए, ताकि व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
छात्राओं के लिए सैनिटरी पैड खरीदने की राशि
राज्य सरकार बालिकाओं की स्वच्छता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर छात्रा को ₹300 की राशि सैनिटरी पैड खरीदने के लिए प्रदान कर रही है। यह कदम स्कूलों में बालिकाओं की उपस्थिति बढ़ाने और उन्हें स्वच्छ एवं सुरक्षित वातावरण देने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। सरकार की यह पहल छात्राओं के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होगी।
शिक्षकों के लिए नए निर्देश और मानसिक स्वास्थ्य की सलाह
डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षकों को अपने कार्य को बोझ न समझने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अगर शिक्षक मानसिक रूप से स्वस्थ और सकारात्मक रहेंगे तो वे कभी बर्नआउट का शिकार नहीं होंगे। शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था का आधार बताते हुए उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि वे अपने कर्तव्यों को लगन और ईमानदारी से निभाएं।
स्कूलों का डिजिटल रेवेन्यू रिकॉर्ड बनेगा
राज्य सरकार ने एक नई पहल की घोषणा की है जिसके तहत अब स्कूलों की जमीन और संपत्ति का रेवेन्यू रिकॉर्ड डिजिटल किया जाएगा। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि प्रत्येक स्कूल के पास कितनी जमीन है और उसमें से कितनी जमीन अतिक्रमित है। इसके लिए सरकार भू-संपदा और सहायक भू-संपदा पदाधिकारियों की बहाली करेगी, जो इन रिकॉर्ड्स का रख-रखाव करेंगे।
शिक्षकों की छुट्टियों के लिए नई गाइडलाइन
सरकार ने शिक्षकों की छुट्टियों को लेकर भी एक स्पष्ट गाइडलाइन तैयार की है, जिससे छुट्टी की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी बन सके। नए निर्देशों के अनुसार:
कैजुअल लीव (CL) एक दिन में स्वीकृत की जाएगी।
अन्य छुट्टियों के आवेदन जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) द्वारा अधिकतम 7 दिन में मंजूर करने होंगे।
यदि DEO सात दिनों के भीतर आवेदन मंजूर नहीं करते, तो वह स्वतः स्वीकृत माना जाएगा।
इसके अलावा, अब छुट्टी का आवेदन केवल ई-शिक्षा कोष पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन ही किया जा सकेगा। इससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और रिकॉर्ड बनाए रखना आसान होगा।
वेतन भुगतान में भी जवाबदेही सुनिश्चित
अब शिक्षकों को वेतन तभी मिलेगा जब DEO कार्यालय के कर्मचारी वेतन भुगतान की प्रक्रिया पूरी करेंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी संबंधित कर्मचारी समय पर और जवाबदेही के साथ कार्य करें।
जल्द जारी होगी छुट्टी संबंधी पूरी गाइडलाइन
डॉ. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया कि शिक्षकों की छुट्टियों से संबंधित विस्तृत गाइडलाइन अगले सप्ताह तक जारी कर दी जाएगी, ताकि शिक्षक पहले से ही अपने कार्यक्रम की योजना बना सकें और नया सिस्टम बिना किसी रुकावट के लागू किया जा सके।
निष्कर्ष
बिहार सरकार द्वारा लाया गया यह नया शिक्षा प्रणाली सुधार कार्यक्रम राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्था को एक नई दिशा देने वाला है। छोटे बच्चों से लेकर बड़े छात्रों तक, सभी को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप सुविधाएं मिलेंगी। स्मार्ट क्लासरूम, बेहतर बैठने की व्यवस्था, छात्राओं की स्वच्छता का ध्यान और शिक्षकों की समस्याओं का समाधान—ये सभी कदम शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने की ओर संकेत करते हैं। यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में बिहार के सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों के समकक्ष खड़े हो सकेंगे।