Gold Rate 2025: भारत में सोने की मांग हमेशा से ही बहुत ज्यादा रही है, खासकर त्योहारों के समय जैसे कि अक्षय तृतीया, रक्षाबंधन और दिवाली। हर कोई चाहता है कि शुभ मौके पर सोना खरीदे और अपने निवेश को सुरक्षित रखे। लेकिन पिछले कुछ समय से सोने की कीमतों में जो उछाल आया है, उसने आम खरीदारों को असमंजस में डाल दिया है कि क्या यह सही समय है खरीदारी का या थोड़ा रुकना चाहिए।
हर दिन बदल रही हैं कीमतें
सोने और चांदी की कीमतें रोज़ाना बदलती हैं। वैश्विक आर्थिक हालात, मांग और आपूर्ति, राजनीतिक तनाव और डॉलर की मजबूती जैसे कई फैक्टर इसमें अहम भूमिका निभाते हैं। 16 मई 2025 को भारत के सर्राफा बाजार में 22 कैरेट सोने की कीमत लगभग ₹87,350 प्रति 10 ग्राम रही, वहीं 24 कैरेट सोना ₹95,280 प्रति 10 ग्राम के करीब रहा। 18 कैरेट सोने की बात करें तो वह ₹71,470 प्रति 10 ग्राम के आसपास मिल रहा है। दूसरी ओर, चांदी की कीमत ₹97,000 प्रति किलो दर्ज की गई।
इस साल तेजी में रहा सोना
साल 2025 की शुरुआत से अब तक सोने ने निवेशकों को अच्छा रिटर्न दिया है। जनवरी से अप्रैल तक ही इसमें करीब 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये बढ़त तब देखने को मिली जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता, मंदी की आशंका और राजनीतिक तनाव का माहौल बना हुआ था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसी रुझान के चलते साल के अंत तक सोने की कीमतें और ऊंचाई छू सकती हैं।
दिवाली तक क्या हो सकती है कीमत?
भारत में दिवाली के समय सोने की खरीदारी एक परंपरा बन चुकी है। इसी वजह से इस समय मांग काफी बढ़ जाती है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि दिवाली तक इंटरनेशनल मार्केट में सोने की कीमत करीब 3,675 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसका सीधा असर भारत के बाजार पर पड़ेगा और सोने का दाम 1 तोला यानी 10 ग्राम तक ₹1,13,500 तक जा सकता है। अगर मांग ज्यादा रही तो यह आंकड़ा ₹1,15,000 प्रति तोला तक भी जा सकता है।
डॉलर की मजबूती और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी
ग्लोबल सेंट्रल बैंक लगातार सोने की खरीदारी कर रहे हैं जिससे कीमतों में तेजी बनी हुई है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि 2025 के अंत तक वैश्विक स्तर पर तिमाही मांग करीब 710 टन तक पहुंच सकती है। इससे भी सोने के दाम में और तेजी आ सकती है। साथ ही जब डॉलर कमजोर होता है, तो सोना निवेश के एक सुरक्षित विकल्प के तौर पर और आकर्षक हो जाता है।
लेकिन गिरावट की भी संभावना है
जैसा कि बाजार का नियम है – जो चढ़ता है वो गिरता भी है। कुछ स्थितियों में सोने की कीमतें गिर सकती हैं, जैसे:
अगर वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
केंद्रीय बैंक सोने की खरीदारी कम कर दें।
राजनीतिक तनाव कम हो जाए।
निवेशक दूसरी जगह निवेश करना शुरू कर दें जैसे कि शेयर मार्केट या डिजिटल एसेट्स।
इन सभी कारणों से सोने की कीमतों में गिरावट संभव है।
चांदी के दामों में भी दिखेगा बदलाव
फिलहाल चांदी की कीमतें थोड़ी स्थिर या कमजोर चल रही हैं, लेकिन साल के अंत तक इसमें बढ़ोतरी की पूरी संभावना है। विश्लेषकों के अनुसार चांदी का दाम ₹1,10,000 प्रति किलो तक जा सकता है। इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत 39 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। इसका कारण है इंडस्ट्रियल डिमांड में बढ़ोतरी और आर्थिक अनिश्चितता।
2028 तक सस्ता हो सकता है सोना
लंबी अवधि की बात करें तो कुछ रिपोर्ट्स यह इशारा कर रही हैं कि 2028 तक सोने की कीमतें गिर सकती हैं। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आती है, अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर खत्म होता है और निवेशक जोखिम लेने को तैयार होते हैं, तो वे सोने से हटकर दूसरे विकल्प चुन सकते हैं। ऐसे में सोने की कीमतें ₹65,500 प्रति तोला तक गिर सकती हैं।
निवेश करने से पहले क्या करें?
सोने में निवेश करना हमेशा से सुरक्षित माना गया है, लेकिन यह जरूरी है कि निवेश से पहले बाजार की स्थिति को समझा जाए। हर निवेशक को अपनी आर्थिक स्थिति, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की समय-सीमा को ध्यान में रखकर निर्णय लेना चाहिए। साथ ही, निवेश से पहले किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लेना भी समझदारी होगी।
निष्कर्ष
दिवाली के आसपास सोने की कीमतों में तेजी देखी जा सकती है। अगर आप इस शुभ मौके पर सोना खरीदने की सोच रहे हैं, तो बाज़ार पर नजर बनाए रखें। कीमतें कब ऊपर जाएं और कब गिरें, यह पहले से तय नहीं होता, इसलिए सही समय पर निर्णय लेना बहुत जरूरी है। यह लेख आपको जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। निवेश से पहले आधिकारिक स्रोतों और विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें।