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1 जुलाई से UPI का नया नियम लागू, अब हर पेमेंट से पहले दिखेगा असली बैंक वाला नाम UPI Name Verification

UPI Name Verification: डिजिटल पेमेंट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ-साथ धोखाधड़ी के मामलों में भी इज़ाफा हुआ है। ऐसे में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) से जुड़ी सुरक्षा को और मज़बूत बनाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने एक अहम फैसला लिया है। 1 जुलाई 2025 से UPI ट्रांजैक्शन के नियमों में बड़ा बदलाव किया जाएगा। इस बदलाव के तहत अब जब भी आप किसी को UPI से पैसे भेजेंगे, तो आपको उस व्यक्ति का बैंक रिकॉर्ड में दर्ज असली नाम दिखाई देगा। इससे पहले तक ट्रांजैक्शन के समय वही नाम दिखता था जो आपने अपने कॉन्टैक्ट में सेव किया होता था।

क्या है नया नियम?

अब तक जब हम Google Pay, PhonePe, Paytm या BHIM जैसे ऐप से किसी को पैसे भेजते थे, तो रिसीवर का वही नाम स्क्रीन पर आता था जो हमारे फोन में सेव होता है। लेकिन नए नियम के मुताबिक, अब आपको उस व्यक्ति का वास्तविक नाम दिखाई देगा जो उसके बैंक खाते में रजिस्टर्ड है। यानी अगर आप किसी अनजान QR कोड को स्कैन करते हैं या किसी UPI ID पर पैसे भेजते हैं, तो ऐप खुद ही उस खाते के मालिक का असली नाम दिखा देगा।

यह नियम कब से लागू होगा?

NPCI द्वारा जारी यह नया नियम 30 जून 2025 के बाद 1 जुलाई 2025 से देशभर में लागू हो जाएगा। यह कदम UPI ट्रांजैक्शन को और सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

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किन ट्रांजैक्शनों पर लागू होगा यह नियम?

यह नियम दो प्रमुख प्रकार की UPI ट्रांजैक्शनों पर लागू होगा:

  1. P2P (Person to Person): जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को पैसे भेजता है।

  2. P2M (Person to Merchant): जब कोई ग्राहक किसी व्यापारी, दुकान, कैफे या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को पेमेंट करता है।

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चाहे आप QR कोड स्कैन करें, UPI ID डालें या मोबाइल नंबर से पेमेंट करें—हर स्थिति में आपको रिसीवर का असली नाम ही दिखाई देगा।

बदलाव की ज़रूरत क्यों पड़ी?

पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल पेमेंट सिस्टम में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है, लेकिन इसके साथ ही UPI फ्रॉड और गलत ट्रांजैक्शन के मामले भी बढ़े हैं। धोखाधड़ी करने वाले फर्जी QR कोड, नकली UPI ID या कॉन्टैक्ट में भ्रम फैलाने वाले नामों का उपयोग करते हैं ताकि लोग गलत व्यक्ति को पैसे भेज दें।

इस समस्या का समाधान करते हुए NPCI ने यह तय किया कि अब पैसे भेजने से पहले ट्रांजैक्शन की पुष्टि के रूप में बैंक में रजिस्टर्ड वास्तविक नाम दिखाना अनिवार्य होगा। इससे यूजर्स को यह जानने में आसानी होगी कि वे सही व्यक्ति को ही पैसे भेज रहे हैं।

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इससे क्या होंगे फायदे?

1. फ्रॉड पर रोक लगेगी:
जब असली नाम सामने दिखेगा तो कोई भी अजनबी या फर्जी व्यक्ति पैसे हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाएगा।

2. यूजर्स का भरोसा बढ़ेगा:
अब लोग अधिक विश्वास के साथ UPI का इस्तेमाल करेंगे क्योंकि उन्हें पता होगा कि ट्रांजैक्शन सुरक्षित है।

3. गलत पेमेंट से बचाव:
बहुत बार एक जैसे नाम या नंबर के कारण लोग गलत खाते में पैसे भेज देते हैं। इस नई व्यवस्था से यह समस्या भी काफी हद तक खत्म हो जाएगी।

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4. व्यापारी और ग्राहकों दोनों के लिए फायदेमंद:
अब ग्राहक किसी दुकानदार या व्यापारी को पेमेंट करने से पहले यह जान सकेंगे कि वह रजिस्टर्ड नाम वाला असली अकाउंट है या नहीं।

यूजर्स को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

  • नाम ध्यान से जांचें: जब आप पैसे भेजने जाएं, तो स्क्रीन पर दिखने वाले नाम को अच्छे से पढ़ें। अगर नाम सही नहीं लगता, तो ट्रांजैक्शन रोक दें।

  • अनजान QR कोड स्कैन करने से बचें: कई बार लोग सार्वजनिक स्थानों पर लगे QR कोड को स्कैन कर देते हैं जो धोखेबाजों द्वारा लगाए गए हो सकते हैं।

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  • अगर संदेह हो तो हेल्पलाइन से संपर्क करें: किसी भी गड़बड़ी या धोखाधड़ी की आशंका होने पर तुरंत अपने बैंक या पेमेंट ऐप की कस्टमर सपोर्ट से संपर्क करें।

  • UPI ऐप को अपडेट रखें: यह सुविधा नए नियमों के अनुरूप तभी मिलेगी जब आपके पास ऐप का लेटेस्ट वर्जन होगा।

यह बदलाव क्यों है खास?

भारत दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में से एक है। NPCI द्वारा लाया गया यह नया नियम UPI को और सुरक्षित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। इससे डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया को और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल और सुरक्षित बनाया जा सकेगा।

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निष्कर्ष

1 जुलाई 2025 से UPI ट्रांजैक्शन के नियमों में जो बदलाव आ रहे हैं, वे आम लोगों के लिए डिजिटल लेनदेन को और भी अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में बेहद कारगर साबित होंगे। अब हर ट्रांजैक्शन से पहले रिसीवर का असली नाम स्क्रीन पर दिखेगा, जिससे फ्रॉड और गलत ट्रांजैक्शन की घटनाओं में भारी कमी आने की संभावना है। यूजर्स को बस यह सुनिश्चित करना होगा कि वे हर बार नाम की पुष्टि करें और किसी संदिग्ध ट्रांजैक्शन से दूर रहें।

यह बदलाव डिजिटल भारत की दिशा में एक और ठोस कदम है, जो न केवल टेक्नोलॉजी के भरोसे को मज़बूत करेगा, बल्कि करोड़ों यूजर्स को एक सुरक्षित पेमेंट अनुभव भी देगा।

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