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बीएड कोर्स में बदलाव: अब NCTE की नई गाइडलाइन होगी लागू BED Course Update

BED Course Update: अगर आप बीएड (B.Ed) कोर्स करने की तैयारी कर रहे हैं या पहले से इस कोर्स में दाखिला लेने की सोच रहे हैं, तो आपके लिए एक महत्वपूर्ण खबर है। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) ने बीएड को लेकर 2025 से लागू होने वाली नई गाइडलाइन जारी कर दी है। इन गाइडलाइनों के अनुसार, अब बीएड कोर्स केवल मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थानों में ही संचालित किए जा सकेंगे। इस फैसले से देशभर के हजारों बीएड कॉलेजों के संचालन ढांचे में बड़ा बदलाव होने जा रहा है।

क्या है NCTE का नया फैसला?

NCTE की नई गाइडलाइन के अनुसार अब ऐसे बीएड कॉलेज जो केवल टीचर ट्रेनिंग कोर्स चला रहे हैं और किसी अन्य डिग्री कोर्स से नहीं जुड़े हैं, उन्हें बंद कर दिया जाएगा या नजदीकी डिग्री कॉलेज में मर्ज किया जाएगा। यदि कोई बीएड कॉलेज किसी डिग्री कॉलेज से 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित है, तो उसे उसी डिग्री कॉलेज में मर्ज करना अनिवार्य होगा।

इस बदलाव का उद्देश्य बीएड कोर्स की गुणवत्ता में सुधार लाना है। अब शिक्षण संस्थानों को केवल अध्यापन के लिए नहीं, बल्कि एक समग्र शिक्षा मॉडल के तहत चलाया जाएगा, जिसमें छात्र को विषय के साथ-साथ व्यावसायिक और व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त हो सके।

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बीएड कॉलेजों को मिला समय

नई व्यवस्था 2025 से लागू होगी लेकिन सभी बीएड कॉलेजों को 2030 तक मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थान बनने का समय दिया गया है। यानी आने वाले पांच वर्षों में सभी कॉलेजों को खुद को इन गाइडलाइनों के अनुसार ढालना होगा। जिन कॉलेजों में केवल बीएड की पढ़ाई होती है, उन्हें या तो किसी डिग्री कॉलेज में मर्ज करना होगा या फिर अन्य पाठ्यक्रम शुरू करके मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थान का दर्जा हासिल करना होगा।

प्रति कोर्स सीमित होंगे छात्र

NCTE की गाइडलाइन के अनुसार, अब बीएड कोर्स में प्रति कोर्स 50 छात्रों को ही प्रवेश मिलेगा। पहले कई कॉलेजों में एक साथ कई सेक्शन और 100 से अधिक छात्रों को दाखिला दिया जाता था। इस निर्णय का उद्देश्य शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना है, ताकि हर छात्र को बेहतर शिक्षा, प्रशिक्षण और संसाधन मिल सकें।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत बड़ा बदलाव

यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के तहत किया गया है। इस नीति का उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाना है। बीएड कोर्स को लेकर यह फैसला इस बात को सुनिश्चित करता है कि अध्यापक बनने वाले छात्रों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि व्यावहारिक और बहु-विषयी ज्ञान भी दिया जाए। इससे शिक्षकों में समग्र विकास होगा और वे छात्रों को बेहतर तरीके से शिक्षित कर सकेंगे।

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साझा संसाधनों से होगा संस्थानों का संचालन

जिन बीएड कॉलेजों को डिग्री कॉलेजों में मर्ज किया जाएगा, वे साझा संसाधनों का उपयोग करेंगे। उदाहरण के लिए भवन, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, खेल सामग्री, और शिक्षक – ये सभी एक साथ उपयोग किए जाएंगे। इससे संस्थानों पर आर्थिक बोझ कम होगा और छात्र बेहतर सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। यह फैसला खास तौर पर उन छोटे बीएड कॉलेजों के लिए राहत लेकर आया है जो अब तक आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे थे।

2023 तक थी विकल्प की छूट, अब अनिवार्य

गौरतलब है कि NCTE ने पहले 2023 तक बीएड कॉलेजों को स्वेच्छा से मर्ज होने का विकल्प दिया था। कई कॉलेजों ने इस अवसर का लाभ उठाया, लेकिन अब इसे पूरी तरह अनिवार्य कर दिया गया है। अब अगर कोई बीएड संस्थान अकेले काम कर रहा है और वह मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थान नहीं बनता, तो उसे NCTE की मान्यता नहीं दी जाएगी।

विद्यार्थियों और अभिभावकों को क्या ध्यान रखना चाहिए?

जो छात्र बीएड कोर्स में दाखिला लेना चाहते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस संस्थान में वे प्रवेश ले रहे हैं, वह मल्टी-डिसिप्लिनरी संस्थान हो और NCTE द्वारा मान्यता प्राप्त हो। इसके अलावा, संस्थान का बुनियादी ढांचा, शिक्षक योग्यताएं, पुस्तकालय और प्रशिक्षण सुविधाएं भी जांचनी चाहिए।

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निष्कर्ष

B.Ed Course Rule Change 2025 एक ऐतिहासिक कदम है जो भारत में अध्यापक शिक्षा प्रणाली को एक नई दिशा देगा। यह केवल कॉलेजों के ढांचे को ही नहीं बदलेगा, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता, व्यावसायिकता और व्यवहारिकता में भी सुधार लाएगा। आने वाले समय में इससे शिक्षक बनने वाले युवाओं को बेहतर प्रशिक्षण मिलेगा और देश को अधिक योग्य और कुशल शिक्षक मिलेंगे।

अस्वीकरण: यह लेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी कोर्स या कॉलेज में दाखिला लेने से पहले संबंधित संस्थान और NCTE की आधिकारिक वेबसाइट से अद्यतन और प्रमाणित जानकारी जरूर प्राप्त करें।

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