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117 साल पुराने जमीन रजिस्ट्री कानून होंगे खत्म, केंद्र सरकार लाई नया ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कानून Online Property Registration

Online Property Registration: देश में जमीन और संपत्ति की खरीद-बिक्री से जुड़े 117 साल पुराने कानून को अब समाप्त करने की तैयारी हो रही है। केंद्र सरकार ने एक नया विधेयक प्रस्तावित किया है, जिसके तहत ऑनलाइन रजिस्ट्री को अनिवार्य बनाया जाएगा और दस्तावेजों का डिजिटल रूप से रखरखाव सुनिश्चित किया जाएगा। यह नया कानून पुराने रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1908 की जगह लेगा और इसके लागू होने के बाद रजिस्ट्री से जुड़े सभी काम डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किए जा सकेंगे।

क्या है नया कानून?

यह नया कानून भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया है। इसका मकसद रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पारदर्शी, त्वरित और सुरक्षित बनाना है। विभाग ने इस मसौदा कानून को जनता की राय के लिए भी प्रस्तुत किया है, ताकि सभी नागरिक इसमें भागीदारी कर सकें और अपनी सुझाव दे सकें।

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की दिशा में बड़ा कदम

भारत में अब तक रजिस्ट्री की प्रक्रिया राज्य सरकारों के अधीन है, लेकिन यह प्रक्रिया रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1908 के तहत संचालित होती है। यह अधिनियम पूरे देश में लागू है, लेकिन राज्य सरकारों को इसमें संशोधन करने का अधिकार प्राप्त है, हालांकि इसके लिए केंद्र सरकार से परामर्श लेना आवश्यक होता है। कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक ने पहले ही अपने-अपने स्तर पर कानून में बदलाव कर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा शुरू कर दी है।

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इन्हीं प्रयासों को एकीकृत करते हुए केंद्र सरकार अब एक एकीकृत और समरूप कानून लाना चाहती है जो पूरे देश में लागू हो सके।

कौन-कौन से दस्तावेज होंगे अनिवार्य?

प्रस्तावित विधेयक के अनुसार निम्नलिखित दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया जाएगा:

अब तक इनमें से कुछ दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं होता था, जिससे कई बार विवाद और धोखाधड़ी के मामले सामने आते थे। नया कानून इस तरह की समस्याओं को रोकने के लिए लाया जा रहा है।

आधार आधारित सत्यापन होगा जरूरी

इस नए कानून का एक और अहम पहलू है आधार आधारित पहचान सत्यापन प्रणाली। नागरिकों को अपने आधार नंबर के जरिए पहचान सत्यापन की प्रक्रिया में भाग लेना होगा। हालांकि जिन लोगों को आधार नंबर साझा करने में आपत्ति है, उनके लिए वैकल्पिक पहचान विकल्प भी प्रस्तावित किए गए हैं।

इस प्रणाली के तहत कोई भी व्यक्ति जो रजिस्ट्री करवा रहा है, उसकी पहचान डिजिटल तरीके से सत्यापित की जाएगी, जिससे फर्जीवाड़ा, बेनामी संपत्ति सौदे और दस्तावेजों की जालसाजी जैसे मामलों पर अंकुश लगेगा।

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डिजिटल रिकॉर्ड और ई-प्रस्तुति

नए कानून में यह भी प्रावधान किया गया है कि रजिस्टर्ड दस्तावेजों को डिजिटल रूप में संग्रहित और संरक्षित किया जाएगा। इसके तहत नागरिक अब अपने दस्तावेजों की ई-प्रस्तुति भी कर सकेंगे और ऑनलाइन ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे।

सरकार जल्द ही एक ऐसा पोर्टल विकसित करेगी जहां से नागरिक अपनी संपत्ति से संबंधित सभी कार्य जैसे आवेदन, भुगतान, सत्यापन और प्रमाणपत्र प्राप्ति जैसे कार्य कर सकेंगे।

क्यों जरूरी है नया कानून?

भूमि संसाधन विभाग ने अपने बयान में कहा कि “तकनीक का बढ़ता उपयोग, सामाजिक-आर्थिक व्यवहार में बदलाव और पंजीकृत दस्तावेजों पर निर्भरता के कारण एक आधुनिक और डिजिटल रजिस्ट्रेशन प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।”

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वर्तमान में जमीन से जुड़े विवादों और भ्रष्टाचार की शिकायतें तेजी से बढ़ रही हैं। पुराने ढर्रे पर चल रही रजिस्ट्रेशन प्रणाली इन समस्याओं का समाधान नहीं कर पा रही थी। ऐसे में डिजिटल इंडिया अभियान के तहत यह कानून एक भविष्य उन्मुख और तकनीकी रूप से सक्षम रजिस्ट्रेशन सिस्टम की ओर बड़ा कदम है।

लाभ क्या होंगे?

  1. पारदर्शिता: सभी रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाएं ऑनलाइन होने से भ्रष्टाचार में कमी आएगी।

  2. समय की बचत: नागरिकों को बार-बार सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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  3. धोखाधड़ी पर रोक: आधार आधारित सत्यापन और डिजिटल रिकॉर्ड से फर्जी रजिस्ट्री पर रोक लगेगी।

  4. सुरक्षित दस्तावेज: दस्तावेजों का डिजिटल भंडारण लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा।

  5. देशभर में समान नियम: हर राज्य में रजिस्ट्री की प्रक्रिया एक जैसी होगी, जिससे प्रवासी नागरिकों को आसानी होगी।

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निष्कर्ष

केंद्र सरकार का यह प्रस्तावित विधेयक जमीन और संपत्ति से जुड़े मामलों में एक बड़ा सुधार साबित हो सकता है। इससे न केवल नागरिकों को सुविधा मिलेगी, बल्कि कानूनी प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता भी आएगी। सरकार ने आम नागरिकों से भी इस कानून पर राय और सुझाव मांगे हैं।

यदि यह विधेयक कानून के रूप में पारित हो जाता है तो यह भारत में जमीन और संपत्ति रजिस्ट्रेशन के इतिहास में एक क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला साबित होगा। देशभर में रियल एस्टेट, भूमि सौदे और नागरिक अधिकारों के लिए यह एक डिजिटल युग की शुरुआत मानी जा सकती है।

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