Monsoon 2025: भारत में मानसून का मौसम सिर्फ एक ऋतु नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की उम्मीदों से जुड़ा होता है। इस बार मानसून 2025 को लेकर मौसम विभाग (IMD) की भविष्यवाणी ने देशवासियों में उम्मीद की नई किरण जगाई है। खबरों के मुताबिक, इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य समय से पहले दस्तक देने जा रहा है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून 24 या 25 मई तक केरल पहुंच सकता है, जो पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी पहुंचने का रिकॉर्ड बना सकता है। वर्ष 2009 में मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था और अब 2025 में यह रिकॉर्ड दोहराने की संभावना है।
मानसून जल्दी क्यों आ रहा है?
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल मौसमी परिस्थितियां मानसून के अनुकूल बन रही हैं। समुद्र का तापमान और हवा का दबाव ऐसे संकेत दे रहे हैं, जिससे मानसून की गति तेज हो गई है। पहले अनुमान था कि मानसून 27 मई तक केरल पहुंचेगा, लेकिन अब यह तारीख कुछ दिन पहले खिसकती दिख रही है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बने कम दबाव के क्षेत्र और गर्म समुद्री सतह मानसून की गति को बढ़ा रहे हैं।
पिछले वर्षों में कब आया मानसून?
वर्ष | मानसून की शुरुआत |
---|---|
2024 | 30 मई |
2023 | 30 मई |
2022 | 8 जून (देरी से) |
2021 | 29 मई |
2020 | 3 जून |
आमतौर पर मानसून हर साल 1 जून को केरल में प्रवेश करता है और जुलाई के पहले सप्ताह तक पूरे देश में फैल जाता है। इसकी वापसी 17 सितंबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर तक पूरी हो जाती है।
इस साल कैसी रहेगी बारिश?
मौसम विभाग द्वारा अप्रैल 2025 में जारी लॉन्ग-रेंज फोरकास्ट के अनुसार, इस बार देशभर में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। इसका मुख्य कारण अल नीनो प्रभाव का कमजोर होना है, जो अक्सर मानसून को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार एल नीनो का असर कमजोर रहेगा, जिससे मानसून पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बारिश का वर्गीकरण कैसे होता है?
भारत मौसम विभाग ने पिछले 50 वर्षों के औसत 87 सेंटीमीटर वर्षा को आधार मानते हुए बारिश को पांच श्रेणियों में विभाजित किया है:
अल्पवृष्टि (Deficient): 90% से कम वर्षा
सामान्य से कम (Below Normal): 90–95%
सामान्य (Normal): 96–104%
सामान्य से अधिक (Above Normal): 105–110%
अत्यधिक वर्षा (Excess): 110% से अधिक
मानसून क्यों है भारत के लिए जरूरी?
भारत की लगभग 42.3% आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है। कृषि क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान 18.2% है। ऐसे में मानसून का समय पर आना और पर्याप्त बारिश होना देश की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक है।
मानसून के कारण जलाशय भरते हैं, जिससे पीने के पानी और हाइड्रो पावर उत्पादन में मदद मिलती है।
खरीफ फसलों की बुवाई मानसून पर निर्भर होती है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देती है।
शहरी क्षेत्रों में भी जल संकट से राहत मानसून से ही मिलती है।
किन राज्यों में बारिश और हीटवेव का असर?
मौसम विभाग के अनुसार, 24 मई तक दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है। इनमें शामिल हैं:
बारिश वाले राज्य: केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, मेघालय और पूर्वोत्तर राज्य
हीटवेव वाले राज्य: उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार
इन इलाकों में मौसम का मिजाज काफी अलग रहेगा। कुछ जगहों पर जहां भारी बारिश की चेतावनी है, वहीं कुछ हिस्सों में गर्मी और लू के कारण सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
मानसून 2025 से क्या हैं उम्मीदें?
इस बार मानसून का जल्दी आना केवल मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि किसानों और आमजन के लिए राहत की खबर है। समय पर और सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना से खेती, जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन में सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है।
हालांकि, भारी बारिश के कारण तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों में बाढ़, भूस्खलन जैसी आपदाओं का खतरा भी बना रहता है। ऐसे में सरकार और आम जनता को मिलकर तैयारियां करनी होंगी ताकि संभावित प्राकृतिक आपदाओं से बचाव हो सके।
निष्कर्ष
मानसून 2025 को लेकर मौसम विभाग की भविष्यवाणी सकारात्मक संकेत दे रही है। यदि यह समय पर और भरपूर बारिश लाता है, तो यह न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ावा देगा, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में जल संकट से राहत भी देगा। समय रहते सतर्कता और सही योजनाएं अपनाकर इस मानसून को देश की प्रगति का जरिया बनाया जा सकता है।