Monsoon Update: देशभर में गर्मी अपने चरम पर है, लेकिन अब राहत की खबर भी सामने आने लगी है। भारत में मानसून की गतिविधियां तेज हो गई हैं और इसकी शुरुआत केरल से हो चुकी है। खास बात यह है कि इस बार मानसून ने केरल में 8 दिन पहले ही दस्तक दे दी है। आमतौर पर मानसून केरल में 1 जून के आसपास पहुंचता है, लेकिन इस बार यह 25 मई को ही सक्रिय हो गया। ऐसे में अब सभी की निगाहें मध्यप्रदेश (एमपी) पर टिकी हैं, जहां फिलहाल गर्म हवाएं और लू का दौर जारी है।
मौसम विभाग के अनुसार, मध्यप्रदेश में मानसून इस साल 15-16 जून के आसपास पहुंचने की संभावना है। हालांकि अभी तक मौसम पूरी तरह से गर्म है और अधिकतम तापमान कई जिलों में 42 से 45 डिग्री तक जा पहुंचा है, लेकिन अब लोगों को जल्द ही राहत मिलने की उम्मीद है।
केरल में 8 दिन पहले पहुंचा मानसून
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने पुष्टि की है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल में 25 मई को पहुंच गया है। यह सामान्य तिथि 1 जून से करीब 8 दिन पहले है। मानसून के जल्द सक्रिय होने का असर अन्य राज्यों पर भी पड़ने वाला है। विशेष रूप से दक्षिण भारत और मध्य भारत में इसकी गतिविधियां तेजी से बढ़ेंगी।
एमपी में मानसून की संभावित एंट्री
मध्यप्रदेश में आमतौर पर मानसून 15 जून के आसपास पहुंचता है। इस बार भी मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि मानसून 15 से 16 जून के बीच एमपी में दस्तक दे सकता है।
सबसे पहले मानसून प्रदेश के दक्षिणी और पश्चिमी जिलों में सक्रिय होगा। इनमें अनूपपुर, बालाघाट, डिंडौरी, मंडला, सिवनी, पांढुर्णा, बैतूल, बुरहानपुर और बड़वानी जैसे जिले शामिल हैं।
इन जिलों में मानसून के सबसे पहले पहुंचने की संभावना है क्योंकि यह क्षेत्र दक्षिण भारत के करीब हैं और मानसून का रुख पहले इन्हीं इलाकों की ओर होता है।
मध्य और उत्तरी एमपी में थोड़ी देरी
मध्यप्रदेश के मध्य भागों जैसे भोपाल, इंदौर, होशंगाबाद, उज्जैन आदि में मानसून 20 जून तक पहुंच सकता है। वहीं, प्रदेश के उत्तरी जिले जैसे ग्वालियर, मुरैना, भिंड आदि में मानसून की एंट्री 25 जून तक होने की संभावना है।
इस तरह से प्रदेश में मानसून की एंट्री दक्षिण से शुरू होकर धीरे-धीरे मध्य और फिर उत्तर की ओर बढ़ेगी।
पिछले वर्षों में मानसून की स्थिति
अगर हम पिछले वर्षों की बात करें तो 2024 में मानसून एमपी में देरी से पहुंचा था। तब दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 21 जून को प्रदेश के दक्षिणी जिलों में प्रवेश किया था। इसमें अनूपपुर, बालाघाट, मंडला, डिंडौरी, पांढुर्णा और सिवनी जैसे जिले शामिल थे।
वहीं, 2009 में एक बार मानसून ने असामान्य रूप से जल्दी 23 मई को ही मध्यप्रदेश में दस्तक दे दी थी। लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है।
मानसून का असर और तैयारी
मानसून के आने से गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद की जा रही है। इसके साथ ही किसान भी मानसून की शुरुआत का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ताकि खरीफ फसलों की बुवाई समय पर शुरू की जा सके।
प्रदेश सरकार और कृषि विभाग ने भी मानसून की संभावित तारीखों को ध्यान में रखते हुए तैयारियां तेज कर दी हैं। बीज, खाद और अन्य कृषि संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
मौसम विभाग की चेतावनी और सलाह
मौसम विभाग ने लोगों को सलाह दी है कि जब तक मानसून पूरी तरह सक्रिय नहीं हो जाता, तब तक गर्मी और लू से बचाव जरूरी है। खासतौर पर दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक घर से बाहर निकलने से परहेज करने की सलाह दी गई है।
बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। पानी का अधिक सेवन, हल्के और सूती कपड़ों का प्रयोग और धूप से बचाव के उपाय जरूरी हैं।
निष्कर्ष
इस बार मानसून के समय पर पहुंचने की संभावना से प्रदेशवासियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है। खासतौर पर किसान समुदाय के लिए यह एक सुखद समाचार है। केरल में मानसून की समय से पहले हुई शुरुआत से अब यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि मध्यप्रदेश में भी मानसून अपने तय समय पर या उससे पहले पहुंच सकता है।
मौसम विभाग लगातार मॉनसून की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है और आगे की जानकारी समय-समय पर साझा की जाएगी। तब तक सावधानी बरतें और राहत की इस नई उम्मीद का स्वागत करें।