NEET UG Exam: NEET UG 2025 परीक्षा इस बार कई विवादों और परेशानियों के बीच घिर गई है। 4 मई को जब देशभर में मेडिकल प्रवेश परीक्षा आयोजित की गई, उसी दिन मध्य प्रदेश के इंदौर में आई तेज आंधी और बारिश ने हजारों छात्रों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। खासकर इंदौर शहर के 11 परीक्षा केंद्रों पर स्थिति इतनी खराब थी कि छात्रों को अंधेरे में मोमबत्ती और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में पेपर हल करना पड़ा। इस घटना ने न केवल छात्रों की मानसिक स्थिति को प्रभावित किया बल्कि उनके भविष्य पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है।
क्या हुआ था 4 मई को?
4 मई 2025 को इंदौर शहर में लगभग 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज आंधी चली और बारिश हुई। इस वजह से शहर के 49 में से 11 परीक्षा केंद्रों पर बिजली पूरी तरह से गुल हो गई। यह सभी परीक्षा केंद्र सरकारी स्कूलों में बनाए गए थे और वहां किसी प्रकार की पावर बैकअप व्यवस्था नहीं थी।
एनटीए (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) ने पहली बार इंदौर के सरकारी स्कूलों को परीक्षा केंद्र के रूप में चुना था, लेकिन वहां की मूलभूत सुविधाएं इस प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से नाकाफी थीं।
600 से ज्यादा छात्र हुए प्रभावित
इन 11 परीक्षा केंद्रों पर परीक्षा दे रहे 600 से ज्यादा छात्र इस स्थिति से प्रभावित हुए। अंधेरे में छात्रों को न तो प्रश्नपत्र ठीक से पढ़ने की सुविधा मिल सकी और न ही उत्तर पुस्तिका में जवाब ठीक से लिखने का समय और वातावरण मिला। कुछ छात्रों ने मोमबत्ती और मोबाइल की टॉर्च की मदद से पेपर हल करने की कोशिश की, लेकिन अधिकांश ने इस परिस्थिति को अनुचित और अन्यायपूर्ण बताया।
हाईकोर्ट में दायर हुईं याचिकाएं
इस गंभीर लापरवाही को लेकर कुल 15 याचिकाएं इंदौर हाईकोर्ट बेंच में दाखिल की गईं। इन याचिकाओं में यह मांग की गई कि प्रभावित छात्रों को फिर से परीक्षा देने का अवसर दिया जाए या उनके लिए कोई वैकल्पिक समाधान निकाला जाए। याचिकाकर्ताओं के वकील मृदुल भटनागर ने अदालत को बताया कि छात्रों की मेहनत और भविष्य को लेकर एनटीए की लापरवाही को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
कोर्ट का रुख और रिजल्ट पर रोक
हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए NTA, बिजली वितरण कंपनी और संबंधित परीक्षा केंद्रों को नोटिस जारी किए थे। लेकिन जब संतोषजनक जवाब नहीं मिले तो अदालत ने NEET UG 2025 के परिणाम जारी करने पर अंतरिम रोक लगा दी।
16 मई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई सुनवाई में देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एनटीए की ओर से पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि अगर पूरे देश का रिजल्ट रोका गया, तो लाखों छात्रों का नुकसान होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि प्रभावित परीक्षा केंद्रों की विस्तृत रिपोर्ट दो दिनों में कोर्ट में प्रस्तुत की जाएगी।
अगली सुनवाई और कोर्ट के निर्देश
हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को 30 जून 2025 तक अपना विस्तृत जवाब देने के निर्देश दिए हैं। इस दिन अगली सुनवाई हो सकती है जिसमें कोर्ट यह निर्णय करेगा कि रिजल्ट जारी किया जाए या प्रभावित छात्रों के लिए पुनः परीक्षा करवाई जाए।
यह मामला सिर्फ इंदौर या मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश के मेडिकल क्षेत्र से जुड़े छात्रों और उनके भविष्य से जुड़ा हुआ है। इस साल NEET के लिए देशभर से लगभग 24 लाख से अधिक छात्रों ने परीक्षा दी थी, जिनमें से लगभग ढाई लाख छात्र मध्य प्रदेश से थे।
छात्रों की परेशानी और नाराजगी
प्रभावित छात्रों का कहना है कि उन्होंने सालों तक मेहनत की, नींद और आराम छोड़कर तैयारी की, लेकिन एक दिन की लापरवाही ने उनका सब कुछ बिगाड़ दिया। उनकी मांग है कि उन्हें फिर से परीक्षा देने का अवसर मिलना चाहिए या किसी न्यायपूर्ण समाधान तक पहुंचा जाए। छात्रों का यह भी कहना है कि NEET ही उनके भविष्य का एकमात्र रास्ता है क्योंकि इसके अलावा किसी अन्य मेडिकल पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए कोई वैकल्पिक परीक्षा उपलब्ध नहीं है।
निष्कर्ष
NEET UG जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा में इस प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही न केवल परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठाती है बल्कि लाखों छात्रों के सपनों को भी ठेस पहुंचाती है। कोर्ट में सुनवाई जारी है और सभी की नजरें अब 30 जून की अगली कार्यवाही पर टिकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि अदालत इस मामले में न्यायपूर्ण निर्णय लेगी जिससे प्रभावित छात्रों का भविष्य सुरक्षित रह सके।
नोट: यह लेख सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स और अदालती कार्यवाहियों पर आधारित है। किसी भी निर्णय या निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले संबंधित आधिकारिक सूचनाओं की पुष्टि अवश्य करें।