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सरकारी कर्मचारियों के लिए खुशखबरी, 20 साल बाद पुरानी पेंशन योजना की हुई वापसी Old Pension Scheme 2025

Old Pension Scheme 2025: सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों के लिए साल 2025 एक बड़ी राहत लेकर आ सकता है। लंबे समय से पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme – OPS) की बहाली की मांग कर रहे कर्मचारियों को अब नई उम्मीद की किरण नजर आ रही है। केंद्र सरकार और कुछ राज्य सरकारों ने इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाए हैं, जिससे यह संभावना मजबूत हुई है कि कर्मचारियों को एक बार फिर से पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिल सकता है।

क्या है पुरानी पेंशन योजना (OPS)?

पुरानी पेंशन योजना, यानी ओल्ड पेंशन स्कीम, एक ऐसी प्रणाली थी जिसमें सरकारी कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद उसकी अंतिम मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में जीवनभर मिलता था। इस योजना में महंगाई भत्ता (DA) भी जोड़ा जाता था जिससे समय के साथ पेंशन की राशि बढ़ती रहती थी। इसमें कर्मचारियों की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी और उन्हें एक स्थायी व सुरक्षित पेंशन मिलती थी।

नई पेंशन योजना (NPS) से क्या है अंतर?

साल 2004 के बाद केंद्र सरकार ने OPS को बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) लागू कर दी। NPS में कर्मचारी की सैलरी से 10% हिस्सा काटा जाता है और सरकार भी उतना ही योगदान करती है। यह राशि बाजार में निवेश की जाती है और जो रिटर्न मिलता है, उसी पर पेंशन निर्भर करती है। इसमें गारंटीड पेंशन नहीं मिलती, बल्कि पेंशन पूरी तरह बाजार के प्रदर्शन पर आधारित होती है।

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कर्मचारियों की चिंता और मांग

सरकारी कर्मचारी संगठनों का कहना है कि नई पेंशन योजना में पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। अगर बाजार में गिरावट आती है, तो रिटायरमेंट के समय उन्हें पर्याप्त पेंशन नहीं मिल पाती। यह स्थिति उन कर्मचारियों के लिए चिंताजनक है जिन्होंने पूरी सेवा जीवन सरकार को समर्पित किया है। उनका कहना है कि जब सांसदों और विधायकों को आजीवन पेंशन मिल सकती है, तो कर्मचारियों को इस सुविधा से क्यों वंचित किया जा रहा है।

किन राज्यों ने OPS को फिर से लागू किया?

देश के कुछ राज्यों ने कर्मचारियों की मांग को स्वीकार करते हुए OPS को दोबारा लागू कर दिया है। इनमें शामिल हैं:

इन राज्यों के निर्णय से लाखों कर्मचारियों को लाभ मिला है और अन्य राज्यों के कर्मचारी भी यही उम्मीद कर रहे हैं कि उनके साथ भी ऐसा ही न्याय होगा।

उत्तर प्रदेश की स्थिति

उत्तर प्रदेश के सरकारी कर्मचारी भी OPS की बहाली की मांग लगातार कर रहे हैं। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी समेत अन्य संगठन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठा चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मांग को गंभीरता से लिया है और हाल ही में कर्मचारियों के प्रतिनिधियों से बातचीत की है। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि इस पर केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

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केंद्र सरकार की भूमिका और संभावनाएं

केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना पर विचार करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति OPS की व्यवहारिकता और इसके वित्तीय प्रभावों का अध्ययन कर रही है। ऐसा माना जा रहा है कि समिति यह सुझाव दे सकती है कि कर्मचारियों को OPS और NPS में से कोई एक विकल्प चुनने की सुविधा दी जाए।

अगर यह सिफारिश स्वीकार कर ली जाती है, तो लाखों केंद्रीय कर्मचारी OPS में वापसी कर सकेंगे और उन्हें जीवनभर सुनिश्चित पेंशन मिल सकेगी।

वित्तीय चुनौतियां

हालांकि OPS को दोबारा लागू करना सरकार के लिए वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जीवनभर पेंशन देना सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ा सकता है। लेकिन कर्मचारियों की दलील है कि उनकी सेवा और समर्पण के बदले उन्हें सुरक्षित भविष्य की गारंटी मिलनी चाहिए। वे यह भी कहते हैं कि सरकार अगर नेताओं को आजीवन पेंशन दे सकती है, तो कर्मचारियों के लिए भी यही व्यवस्था होनी चाहिए।

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राजनीतिक प्रभाव

OPS का मुद्दा अब केवल आर्थिक नहीं रहा, यह एक बड़ा राजनीतिक विषय भी बन चुका है। कर्मचारी संगठनों ने साफ संकेत दिया है कि अगर OPS की बहाली नहीं की गई, तो इसका असर आगामी लोकसभा और राज्य चुनावों में जरूर देखने को मिलेगा। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह फैसला चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

पुरानी पेंशन योजना की बहाली की संभावना ने लाखों सरकारी कर्मचारियों में नई आशा जगा दी है। अगर केंद्र सरकार समिति की रिपोर्ट के आधार पर OPS को दोबारा लागू करने या कर्मचारियों को OPS चुनने का विकल्प देने का निर्णय लेती है, तो यह एक ऐतिहासिक फैसला होगा। इससे कर्मचारियों को न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा मिलेगी, बल्कि सरकार के प्रति विश्वास भी मजबूत होगा।

अब देशभर के कर्मचारी बेसब्री से केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। अगर OPS की बहाली होती है, तो यह उन लाखों कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा होगा जो 20 वर्षों से इस सुविधा की वापसी की राह देख रहे हैं।

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