Private School Latest News: देशभर में लंबे समय से अभिभावक प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से परेशान थे। हर साल फीस में भारी बढ़ोतरी, री-एडमिशन फीस, यूनिफॉर्म और किताबों के नाम पर अतिरिक्त शुल्क जैसी समस्याएं मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के परिवारों के लिए भारी बोझ बन गई थीं। अब इन परेशानियों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए नए नियम लागू किए हैं। दिल्ली और झारखंड ने इस दिशा में पहल की है और इससे शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता आने की उम्मीद की जा रही है।
फीस नियंत्रण के लिए सरकार का बड़ा फैसला
दिल्ली सरकार ने हाल ही में Delhi School Education (Transparency in Fixation and Regulation of Fees) Bill, 2025 को मंजूरी दी है। वहीं, झारखंड सरकार ने भी जिला स्तर पर निगरानी समितियां गठित कर दी हैं ताकि निजी स्कूलों पर लगाम लगाई जा सके। इन नए नियमों का उद्देश्य स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से की जाने वाली फीस वसूली पर रोक लगाना है।
नई व्यवस्था की मुख्य बातें
बिंदु | विवरण |
---|---|
उद्देश्य | प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर नियंत्रण |
लागू करने वाली संस्था | दिल्ली और झारखंड सरकार |
प्रमुख समस्याएं | री-एडमिशन फीस, छिपे शुल्क, मनमानी फीस वृद्धि |
निगरानी प्रणाली | स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर समिति |
अधिकतम जुर्माना | दिल्ली: ₹10 लाख, झारखंड: ₹2.5 लाख |
शिकायत दर्ज करने का माध्यम | जिला समिति / शिक्षा विभाग |
फीस संरचना | 3 साल तक स्थिर फीस स्ट्रक्चर अनिवार्य |
अभिभावकों की बड़ी परेशानी: हर साल बढ़ती फीस
हर वर्ष 10-20% तक की फीस वृद्धि, त्योहार, खेल, कंप्यूटर जैसे नामों पर अलग-अलग शुल्क, किताबें और यूनिफॉर्म स्कूल से ही खरीदने की बाध्यता, इन सभी बातों ने माता-पिता के लिए शिक्षा एक बोझ बना दी थी। री-एडमिशन फीस जैसी प्रक्रिया का कोई ठोस आधार नहीं था लेकिन फिर भी यह हर साल ली जाती थी। अभिभावकों की शिकायतों को लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया।
दिल्ली सरकार का बिल: अब क्या बदलेगा?
दिल्ली में तीन स्तरीय समिति का गठन किया गया है— स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर। इसके तहत:
कोई भी स्कूल तीन साल तक फीस में बदलाव नहीं कर सकेगा।
किसी भी तरह की फीस वृद्धि के लिए स्कूलों को पहले अभिभावकों की सहमति और समिति की मंजूरी लेनी होगी।
हर स्कूल को अपनी फीस संरचना वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करनी होगी।
यदि कोई स्कूल इन नियमों का उल्लंघन करता है तो ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर स्कूल की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।
झारखंड सरकार का भी सख्त रुख
झारखंड सरकार ने भी स्कूलों पर निगरानी के लिए जिला स्तर पर समितियां गठित की हैं। वहां भी:
री-एडमिशन फीस पर रोक लगा दी गई है।
₹2.5 लाख तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
अभिभावकों की शिकायतों की जांच तत्काल करने की व्यवस्था बनाई गई है।
बार-बार नियमों के उल्लंघन पर स्कूल की मान्यता रद्द करने की प्रक्रिया भी तय की गई है।
अप्रैल 2025 में हुए घटनाक्रम ने बढ़ाया आक्रोश
दिल्ली के कई निजी स्कूलों ने अप्रैल 2025 में अचानक 18-20% फीस वृद्धि कर दी थी। कई स्कूलों ने तो फीस न भरने पर बच्चों को क्लास से बाहर कर दिया या लाइब्रेरी में बैठा दिया। इसके बाद:
शिक्षा विभाग में सैकड़ों शिकायतें दर्ज हुईं।
सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए संबंधित स्कूलों को नोटिस भेजे।
जांच और दंड की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई।
अब कैसे होगी फीस वृद्धि?
अब स्कूलों को फीस बढ़ाने के लिए एक पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी होगी:
स्कूल को तीन साल के लिए फीस स्ट्रक्चर तय करना होगा।
वृद्धि के लिए खर्चों का लिखित विवरण प्रस्तुत करना होगा।
अभिभावकों की सहमति अनिवार्य होगी।
जिला या राज्य समिति से अनुमति प्राप्त करनी होगी।
अभिभावकों को क्या फायदा होगा?
हर साल फीस बढ़ने का तनाव खत्म होगा।
अभिभावक स्कूल प्रशासन की प्रक्रिया में सहभागी बन सकेंगे।
शिकायतों पर समय रहते कार्रवाई होगी।
शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वास बढ़ेगा।
सरकार की चेतावनी: नियमों की अनदेखी महंगी पड़ेगी
सरकार ने स्पष्ट कहा है कि कोई भी स्कूल यदि नए नियमों की अनदेखी करता है तो:
उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
आवश्यकता पड़ने पर स्कूल का प्रशासन सरकार अपने हाथ में ले सकती है।
अभिभावकों के लिए जरूरी जानकारियां
फीस बढ़ाने से पहले स्कूल को जानकारी देना जरूरी होगा।
शिकायत दर्ज करने का अधिकार अब आपके पास होगा।
फीस संरचना को हर साल सार्वजनिक करना सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।
निष्कर्ष
सरकार द्वारा लागू किए गए नए नियमों से अब निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लग सकेगी। पारदर्शी फीस प्रणाली, निगरानी समितियों और सख्त दंड की व्यवस्था से अभिभावकों को न केवल राहत मिलेगी, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में विश्वास भी बढ़ेगा। समय आ गया है कि स्कूल शिक्षा को व्यापार नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी समझें और छात्रों के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में काम करें।