Savings Account Deposit Limit: बैंक में नकद जमा करना आम बात है, खासकर उन लोगों के लिए जो अब भी कैश लेन-देन पर निर्भर रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपके सेविंग्स अकाउंट में कितनी नकद राशि जमा हो सकती है जिससे इनकम टैक्स विभाग की नजर न पड़े? अगर नहीं, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।
सरकार का उद्देश्य टैक्स चोरी पर रोक लगाना और काले धन की निगरानी करना है। इसी के तहत कुछ खास नियम बनाए गए हैं, जो नकदी जमा करने पर लागू होते हैं। आम लोगों को इन नियमों की जानकारी कम होती है, जिसके चलते वे अनजाने में परेशानी में पड़ सकते हैं। इस लेख में हम सरल भाषा में समझेंगे कि बैंक खाते में नकदी जमा करने की क्या सीमाएं हैं, कब आयकर विभाग नोटिस भेजता है और उससे कैसे बचा जा सकता है।
1. सेविंग्स अकाउंट में नकद जमा की सालाना सीमा
इनकम टैक्स विभाग के नियमों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में अपने सेविंग्स अकाउंट (या सभी खातों को मिलाकर) में 10 लाख रुपये या उससे अधिक नकदी जमा करता है, तो यह जानकारी बैंक को आयकर विभाग के साथ साझा करनी होती है। यह नियम इनकम टैक्स अधिनियम, 1962 की धारा 114बी के अंतर्गत आता है।
इसका अर्थ यह हुआ कि चाहे आपके पास एक बैंक खाता हो या कई बैंक खाते, सभी खातों में जमा की गई नकदी का कुल योग साल भर में 10 लाख रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए, वरना आयकर विभाग की नजर में आपका नाम आ सकता है।
2. एक दिन में 50,000 रुपये से अधिक जमा करने पर पैन अनिवार्य
अगर आप एक दिन में किसी बैंक खाते में 50,000 रुपये या उससे अधिक नकद जमा करते हैं, तो बैंक आपसे पैन नंबर जरूर मांगेगा। यदि आपके पास पैन नहीं है, तो आपको फॉर्म 60 या 61 भरकर जमा करना होगा। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि बड़ी नकदी के लेनदेन को ट्रैक किया जा सके।
यह शर्त केवल सेविंग्स अकाउंट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह करंट अकाउंट, फिक्स्ड डिपॉजिट और अन्य बैंकिंग सेवाओं पर भी लागू होती है।
3. नकद प्राप्ति की अधिकतम सीमा – 2 लाख रुपये
आयकर अधिनियम की धारा 269ST के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक दिन में 2 लाख रुपये से अधिक नकद प्राप्त नहीं कर सकता, चाहे वह किसी एक लेनदेन में हो या एक ही व्यक्ति से मिले हो। यह नियम व्यापारिक और निजी दोनों लेनदेन पर लागू होता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप कोई संपत्ति या वस्तु बेच रहे हैं और खरीददार आपको 2 लाख से अधिक नकदी में भुगतान करना चाहता है, तो वह नियम के खिलाफ है। ऐसी स्थिति में लेन-देन चेक, डिमांड ड्राफ्ट या डिजिटल ट्रांसफर के जरिए ही किया जाना चाहिए।
इस नियम का उल्लंघन करने पर आयकर विभाग जुर्माना लगा सकता है जो लेनदेन की पूरी राशि के बराबर हो सकता है।
4. इनकम टैक्स नोटिस मिलने पर क्या करें
यदि किसी कारणवश आयकर विभाग की ओर से आपको नोटिस प्राप्त होता है, तो घबराएं नहीं। सबसे पहले नोटिस को ध्यानपूर्वक पढ़ें और समझें कि विभाग आपसे क्या जानकारी चाहता है। अधिकतर मामलों में विभाग केवल यह जानना चाहता है कि आपने जो नकद जमा की है उसका स्रोत क्या है।
इसका जवाब देने के लिए आपको कुछ जरूरी दस्तावेज जुटाने होंगे जैसे कि:
बैंक स्टेटमेंट
सैलरी स्लिप
संपत्ति की बिक्री से संबंधित दस्तावेज
निवेश से प्राप्त राशि के प्रमाण
उपहार या वसीयत के दस्तावेज
यदि आप समय पर और सही जानकारी विभाग को देते हैं, तो सामान्यतः मामला जल्दी सुलझ जाता है। यदि मामला जटिल हो या आप दस्तावेज तैयार करने में असमर्थ हों, तो किसी टैक्स सलाहकार से सहायता लेना बेहतर रहेगा।
5. वैध नकदी और उसके दस्तावेज
आयकर विभाग केवल उन लेनदेन पर सवाल उठाता है जिनके स्रोत स्पष्ट नहीं होते। यदि आपने नकदी किसी वैध स्रोत से प्राप्त की है, तो चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है। कुछ सामान्य वैध स्रोत हैं:
वेतन या फ्रीलांस काम की आय
व्यापारिक आय
निवेश की मेच्योरिटी
प्रॉपर्टी की बिक्री
उपहार या वसीयत से प्राप्त धन
इन सभी के लिए आपके पास उचित दस्तावेज होने चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपने कोई प्रॉपर्टी बेची है, तो रजिस्ट्री पेपर, भुगतान की रसीद और सेल डीड जैसे दस्तावेज जरूर रखें।
6. जरूरी सावधानियां और सुझाव
नकद जमा करते समय नियमों का पालन करें
जितना हो सके डिजिटल माध्यम का इस्तेमाल करें
बड़ी राशि को छोटे हिस्सों में विभाजित कर जमा करें
पैन कार्ड हमेशा अपने पास रखें
सभी लेनदेन का रिकॉर्ड बनाए रखें
व्यापारी वर्ग को चाहिए कि वे सभी नकदी लेनदेन का लेखा-जोखा रखें और टैक्स रिटर्न भरते समय सभी आय की सही जानकारी दें। इससे न केवल आप आयकर विभाग की नजर से बचेंगे, बल्कि भविष्य में किसी कानूनी पेंच में भी नहीं फंसेंगे।
निष्कर्ष
बैंक खाते में नकदी जमा करना कोई गलत बात नहीं है, लेकिन यदि यह सीमा से अधिक हो जाए और बिना दस्तावेज के हो, तो आयकर विभाग का नोटिस मिल सकता है। हर नागरिक को अपने वित्तीय व्यवहार के प्रति सतर्क रहना चाहिए और सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करना चाहिए।
नियमों की जानकारी और उचित दस्तावेजी प्रमाण के साथ आप किसी भी स्थिति में अपने आप को सुरक्षित रख सकते हैं। जागरूकता और पारदर्शिता ही एक सुरक्षित वित्तीय भविष्य की कुंजी है।
डिस्क्लेमर:
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले योग्य टैक्स सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट से सलाह अवश्य लें। टैक्स नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों से संपर्क करें।