Summer Vacation 2025: बिहार शिक्षा विभाग ने सत्र 2025-26 के लिए गर्मी की छुट्टियों का संशोधित कैलेंडर जारी कर दिया है। इस बार राज्य के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 8) में अवकाश मई के बजाय सीधे 2 जून से शुरू होगा और 21 जून 2025 तक चलेगा। छुट्टियों को महज़ आराम का समय मानने के बजाय विभाग ने इसे शिक्षण-अधिगम का अवसर बनाने की दिशा में पहल की है—इसी अवधि में प्रदेश-भर में गणित समर कैंप संचालित किए जाएंगे। कैंप का मुख्य उद्देश्य कक्षा 5 एवं 6 के उन विद्यार्थियों की गणितीय दक्षता बढ़ाना है, जिनकी बुनियादी समझ अपेक्षित स्तर से कम आँकी गई है।
गर्मी की छुट्टियाँ देर से शुरू होने की वजह
अधिकांश राज्यों—जैसे उत्तर प्रदेश (20 मई-15 जून) एवं दिल्ली (लगभग 51 दिन)—ने अपने-अपने मौसम एवं शैक्षणिक पंचांग के हिसाब से छुट्टियाँ मई से घोषित की हैं। बिहार ने गर्मी के चरम को ध्यान में रखते हुए अवकाश जून में स्थानांतरित किया है, ताकि लू के सर्वाधिक तीक्ष्ण दौर में बच्चों का स्कूल-आना टाला जा सके। साथ-ही-साथ, शैक्षणिक सत्र की शुरुआती कक्षाएँ बिना रुके पूरी कराने से पाठ्यक्रम का प्रथम चरण व्यवस्थित रूप से निपट सकेगा।
गणित समर कैंप की रूपरेखा
अवधि व समय
2 जून-21 जून: पूरे अवकाश-काल में प्रतिदिन दो सत्र।
सुबह: 7 बजे से 9 बजे तक।
शाम: 5 बजे से 7 बजे तक।
इन टाइम-स्लॉट्स का चयन इसलिए किया गया है कि तापमान अपेक्षाकृत कम रहे और विद्यार्थी सहज वातावरण में सीख सकें।
लक्ष्य समूह
कक्षा 5-6 के गणित में कमजोर चिन्हित विद्यार्थी।
प्रत्येक कैंप में 10-15 बच्चे ताकि शिक्षक व्यक्तिगत ध्यान दे सकें।
शिक्षण संसाधन
इंजीनियरिंग / पॉलिटेक्निक छात्र: विषय-विशेषज्ञता व नवीन शिक्षण तकनीकों का उपयोग कराएँगे।
डायट प्रशिक्षु और बी.एड. अभ्यर्थी: कक्षा-प्रबंधन व शिक्षाशास्त्र का समन्वय।
एनसीसी कैडेट, कुशल युवा कार्यक्रम के प्रतिभागी, जीविका दीदियाँ और नेहरू युवा केंद्र के सदस्य: स्वैच्छिक सहयोग, शैक्षिक सामग्रियों का वितरण व समुदाय-जागरूकता।
शिक्षण-विधियाँ
खेल-आधारित शिक्षण (गेमिफिकेशन) से अंकगणितीय अवधारणाएँ स्पष्ट करना।
समूहीय प्रोजेक्ट व ‘लीड लर्नर’ मॉडल, जिससे आत्मविश्वास बढ़े।
माइक्रो-असेसमेंट: प्रतिदिन छोटे-छोटे क्विज़, ताकि सीखने की प्रगति तुरंत मापी जा सके।
परिणाम मूल्यांकन
अवकाश-पूर्व व अवकाश-पश्चात् दो अलग बेसलाइन-टेस्ट।
जिन छात्रों में 20 % या उससे ज़्यादा सुधार दिखेगा, उन्हें प्रशंसा प्रमाण-पत्र मिलेगा।
डेटा को जिला-स्तर पर संकलित कर अगले शैक्षणिक रणनीतियों में प्रयोग किया जाएगा।
क्यों ज़रूरी है गणित पर फोकस?
नींव का विषय: गणितीय कौशल विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और यहाँ तक कि रोज़मर्रा के निर्णयों की आधारशिला है।
एनएएस व एसएएस रिपोर्ट: हालिया आकलनों से पता चला कि कक्षा 5-8 के बीच गणितीय दक्षता में राष्ट्रीय औसत से बिहार कुछ अंकों से पीछे है; यह पहल उस अंतर को पाटने का प्रयास है।
भविष्य की तैयारी: नए पाठ्यचर्या ढाँचे (एनसीएफ-2023) में डेटा हैंडलिंग, सांख्यिकी व तर्कशक्ति पर ज़ोर है; मजबूत नींव इनकी तैयारी को सुगम बनाएगी।
संचालन में सामुदायिक भागीदारी
शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ (District Education Officer) एवं डीपीओ (District Program Officer) को परिपत्र जारी कर प्रशिक्षण-संसाधन व स्वयंसेवकों की सूची 25 मई तक उपलब्ध कराने को कहा है। स्थानीय पंचायतों, विद्यालय प्रबंधन समितियों (SMC) और अभिभावक-संघों को भी कैंप व्यवस्था—जैसे स्थान, पेयजल, पंखा अथवा शेड—में सहयोग करने का आह्वान किया गया है। यह सहभागिता बच्चों में सीखने के प्रति सामुदायिक उत्तरदायित्व की भावना पुष्ट करती है।
राज्यों की तुलना में बिहार की खास पहल
राज्य | छुट्टियाँ | समर कैंप | विषय-फोकस | अवधि |
---|---|---|---|---|
उत्तर प्रदेश | 20 मई-15 जून | हाँ | बहुविषयक | ~27 दिन |
दिल्ली | मई-जून (51 दिन) | आंशिक | पाठ्येतर गतिविधियाँ | 51 दिन |
बिहार | 2 जून-21 जून | हाँ | गणित | 20 दिन |
तालिका से स्पष्ट है कि बिहार में अवकाश अपेक्षाकृत छोटा है, पर इसे लक्ष्य-निर्धारित शैक्षणिक गतिविधि से जोड़कर अधिक प्रभावी बनाया जा रहा है।
लंबी छुट्टी में सीखने का अंतर कैसे होगा कम?
लंबी गर्मी-छुट्टी अक्सर “लर्निंग लॉस” (सीखी चीज़ें भूल जाना) का कारण बनती है। नियमित अभ्यास व संरचित मार्गदर्शन से यह अंतर घटाया जा सकता है। गणित समर कैंप उसी सिद्धांत पर आधारित है—प्रतिदिन दो घंटे के केंद्रित अध्ययन से गणितीय कौशल का सुदृढ़ीकरण, ताकि जुलाई में विद्यालय-पुनःआरंभ पर अध्यापक पुनरावृत्ति में कम समय लगाएँ और नवीन अवधारणाओं पर जल्दी बढ़ सकें।
निष्कर्ष
बिहार सरकार का यह कदम पारंपरिक “छुट्टियाँ मतलब आराम” वाली समझ से आगे बढ़कर “छुट्टियाँ मतलब अवसर” की धारणा स्थापित करता है। 2 जून से 21 जून 2025 तक तय यह समर-अवकाश बच्चों को मौसम की तपिश से बचाने के साथ-साथ उनके गणितीय कौशल को निखारने का द्वैत-लाभ देगा। इंजीनियरिंग छात्रों से लेकर सामुदायिक स्वयंसेवकों तक का बहु-स्तरीय सहयोग राज्य को शिक्षा-उन्नयन की दिशा में एक मजबूत मिसाल बनाएगा। यदि यह मॉडल सफल रहा तो भविष्य में अन्य वर्गों-विषयों के लिए भी इसी तरह के कैंप आयोजित किए जा सकते हैं, जिससे “हर अवकाश—एक सीख” की परिकल्पना साकार हो सके।